अक्टूबर 2014
इस वर्ष नवरात्रि शुरू होने से पहले घर की साफ -सफाई करते समय एक फाइल में छोटू की बनाई हुई कुछ पेन्टिंगस मिली और कितनी पुरानी यादें ताजी हो गईं. कोई भी शुभ अवसर हो, त्योहार हो बचपन में छोटू कार्ड, पेन्टिंग जरूर बनाता था. उसके कुछ कार्ड तो सच बहुत ओरिजनल होते थे.
हर नवरात्रि हर दिन मां दुर्गा के एक रूप को स्केच करता था. स्कूल होता था सबेरे-सबेरे लेकिन तैयार हो कर न्यूज पेपर आते ही उस दिन के मां के रूप को देख कर स्केच जरूर करता था. पड़ोसियों की बेटी निक्की नवरात्रि में पूरे नौ दिन का व्रत रखती थी. हर दिन एक स्केच बना कर उसे दे कर आता था. यह उसका अपना तरीका था प्यार जताने का, शुभकामनाएं देने का.
य़े स्केच उसने बनाए थे जब वह सात साल का था. हर स्केच पर उम्र लिखना भी उसका अपना आइडिया था.
हमने जब यह ब्लाग शुरू किया था तो एकमात्र उद्देश्य था पुरानी स्मृतियों को सहेजना पर भला जीवन में कब सब कुछ हमेशा सिलसिलेवार चल पाता है.ब्लाग में भी पुराने के साथ नया, सच के साथ कल्पना, कल के साथ आज जुड़ता चला गया. शायद इसी गड्डमड्ड का नाम जीवन है.
अब हमारे छोटू छः फुट दो इंच के बाइस साला नौजवान हो गए हैं . नौकरी करने लगे हैं पर मन अभी भी उस सात साला बच्चे सा कोमल है. इसके चलते उसे जरूर ही जीवन में कई कठिनाइयां उठानी पड़ती होंगी, कई दुःख झेलने पड़ सकते हैं पर हमारा विश्वास है कि उसे समझने वाले, प्यार करने वाले लोग भी मिलते रहेंगे.
you are very precious to us our sonny boy . We treasure you. we love you.
इस वर्ष नवरात्रि शुरू होने से पहले घर की साफ -सफाई करते समय एक फाइल में छोटू की बनाई हुई कुछ पेन्टिंगस मिली और कितनी पुरानी यादें ताजी हो गईं. कोई भी शुभ अवसर हो, त्योहार हो बचपन में छोटू कार्ड, पेन्टिंग जरूर बनाता था. उसके कुछ कार्ड तो सच बहुत ओरिजनल होते थे.
हर नवरात्रि हर दिन मां दुर्गा के एक रूप को स्केच करता था. स्कूल होता था सबेरे-सबेरे लेकिन तैयार हो कर न्यूज पेपर आते ही उस दिन के मां के रूप को देख कर स्केच जरूर करता था. पड़ोसियों की बेटी निक्की नवरात्रि में पूरे नौ दिन का व्रत रखती थी. हर दिन एक स्केच बना कर उसे दे कर आता था. यह उसका अपना तरीका था प्यार जताने का, शुभकामनाएं देने का.
य़े स्केच उसने बनाए थे जब वह सात साल का था. हर स्केच पर उम्र लिखना भी उसका अपना आइडिया था.
हमने जब यह ब्लाग शुरू किया था तो एकमात्र उद्देश्य था पुरानी स्मृतियों को सहेजना पर भला जीवन में कब सब कुछ हमेशा सिलसिलेवार चल पाता है.ब्लाग में भी पुराने के साथ नया, सच के साथ कल्पना, कल के साथ आज जुड़ता चला गया. शायद इसी गड्डमड्ड का नाम जीवन है.
अब हमारे छोटू छः फुट दो इंच के बाइस साला नौजवान हो गए हैं . नौकरी करने लगे हैं पर मन अभी भी उस सात साला बच्चे सा कोमल है. इसके चलते उसे जरूर ही जीवन में कई कठिनाइयां उठानी पड़ती होंगी, कई दुःख झेलने पड़ सकते हैं पर हमारा विश्वास है कि उसे समझने वाले, प्यार करने वाले लोग भी मिलते रहेंगे.
you are very precious to us our sonny boy . We treasure you. we love you.
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