Monday, March 4, 2013

भोपाल की ट्रेन की वह सहयात्री

इस बार की यात्रा प्रारम्भ हुई २६ फ़रवरी २०१३ की शाम,ट्रेन यात्रा काफ़ी अच्छी रही.सहयात्री अच्छे हों तो यात्रा का सुखद हो जाना बहुत स्वाभाविक है.हर यात्रा में ऐसा नहीं होता कि आप सहयात्रियों से घुलमिल कर बात कर सकें पर इस बार हुआ और इसका सारा श्रेय जाता है सामने साइड बर्थ पर अकेली सफ़र कर रही महिला को.वे बहुत सारे सामान के साथ बंगलौर जा रहीं थीं.वे वहां अपने तीन बच्चों के साथ डिफ़ेन्स क्वार्ट्र्स में रहती हैं जबकि पति आसाम में पोस्टेड हैं.महिला ग्रामीण परिवश से थीं.डिग्री आदि के हिसाब से बहुत शिक्षित नहीं थीं पर उनका आत्मविश्वास और सहज ही  सबके भीतर कि अच्छाई पर विश्वास कर लेने की क्षमता ताजा हवा के झोंके की तरह मन को सुख की अनभुति से भर गयी.ऐसा नहीं कि उन्हें आज की दुनिया और लोगों में व्याप्त बुराइयों का अन्दाजा नहीं था.सफ़र में सहयात्रियों से ,अजनबियों से खुल कर बात करने के खतरों से वे वाकिफ़ थी लेकिन फ़िर भी उनका मानना था कि पहले से ही आशंकायें पाल लेगें कुछ गलत या बुरा घटने की तो हम बुरा होने से पहले ही बुरा भोगने  और अनुभव करने लगते हैं.कोई दूसरा हमें तकलीफ़ दे उससे पहले ही हम खुद को सजा दे बैठते हैं.
अंधेरा होने पर हमारे सामने की सीट पर बैठे महाशय ने उनसे सीट बदलने का अनुरोध किया.कारण तो उन सज्जन ने यह दिया कि उन्हें रात में कई बार उठना  पड़ता है और ऐसे में अक्सर बीच वाली सीट से उनका सिर टकरा जाता है लेकिन बाद में उन महिला को समझ में आ गया था कि वास्तव में वे महाशय साइड की नीचे की सीट में पर्दा खींच कर पीने की सहूलियत ढूढ रहे थे.किन्तु इस बात को भी उन्होंने बिना किसी शिकायत के बड़ी सहजता से ले लिया.हर व्यक्ति अलग अलग होता है उसमे अच्छाई या बुराई जैसा क्या.यही नहीं कानपुर से हमारे ही कूपे में एक उनसे  उम्र में बड़ी महिला चढी जिनकी बेटी बार बार फ़ोन पर उनसे पूछ रही थी कि किसी से  सीट बदल  कर नीचे वाली सीट लेने का इन्तजाम हुआ या नहीं तो इन महिला ने  स्वयं ही उ न्हें यह कहा कि वे उनकी नीचे वाली सीट ले लें और वे उनकी बीच वाली सीट पर सो जायेंगी.काफ़ी बातें हुईं उनके साथ .परेशानियों के बावजूद न उन्हें कोई शिकायत थी जीवन से न ही इस बात का कष्ट कि उनके पास औरों की तुलना में भौतिक सुख सुविधाओं की कमी.न अपने अधिक सामान को ले कर परेशान थी ,न उसकी सुरक्षा को ले कर चिन्तित.सब कुछ बहुत सहजता से लेने का उनका यह गुण हमे उनका मुरीद बना गया.

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