Sunday, August 20, 2017

डा. अशोक शर्मा कृत सीता सोचती थी.....

अशोक जी की पुस्तक सीता सोचती थी में घटनाक्रम हमारे चिर - परिचित हैं। भला रामचरित मानस में वर्णित घटनाक्रमों से हममें से कौन अपरिचित होगा किंतु उसके पात्रों को संवेदना के एक पृथक स्तर पर जीने के लिए उनके भीतर की उथल- पुथल और पीड़ा को उनके भीतर पैठ कर महसूसने के लिए हमें अपने संग हाथ पकड़ कर लिए चलती है यह पुस्तक।
पुस्तक के आत्मकथ्य में अशोक जी कहते हैं," इस छोटी सी पुस्तक में मैंने , सीता के स्वयंवर से ले कर धरती की गोद में समाने तक के वृतातों तक, वे जिन मनहस्थितियों से हो कर गुजर गयी होंगी, उनके चित्रण का प्रयास किया है।" यह तो पुस्तक के नाम से ही स्पष्ट है कि इसके केंद्र बिंदु में सीता हैं लेकिन सीता ने जो सोचा होगा, भावों, विचारों के जिन गलियारों से गुजरी होंगी उन्हें अशोक जी ने सहज भाषा, प्रवाहमयी अभिव्यक्ति और छोटी- छोटी घटनाओं के माध्यम से कुछ ऐसे उकेरा है कि हमें पढ़ते समय ऐसा लगता है जैसे हम सीता से सीधा साक्षात्कार कर रहे हों,
किसी भी पूर्व स्थापित कथा और वह भी रामचरित मानस सी कालजयी रचना को आधार बना ,अपने चिंतन, अपने दृष्टिकोणों को पाठकों के सम्मुख प्रस्तुत करना आसान कार्य नहीं है. जैसे जैसे हम लेखक के नजरिये को आत्मसात करते हुए प्रसंग दर प्रसंग आगे बढ़ते हैं तो हमारी अपनी वैचारिक प्रक्रिया भी जागृत होने लगती है. हम भी उत्सुक होने लगते हैं उन जाने -पहचाने प्रसंगों को ,संदर्भों को अपने तरह से सोचने के लिए और हमारे विचार से किसी भी रचना की सबसे बड़ी उपलब्धि यही होती है कि वह पाठक के वैचारिक तंतुओं को सक्रिय कर दे,उसे भावनात्मक स्तर पर छू ले.
राम कथा, इतिहास या कल्पना , इस विषय पर हमेशा से मतभेद रहे हैं। समय समय पर इस विषय पर बहुत कुछ लिखा, कहा गया है, विभिन्न लोगों द्वारा । राम हमारी आस्था के प्रतीक हैं किंतु वे ऐतिहासिक हैं या काल्पनिक इस बात को ले कर जन मानस में भी बहुत उहा पोह रहती है। सीता सोचती है में कथानक के अध्यायों की समाप्ति के उपरांत परिशिष्ट में कुछ ऐसी जानकारियां हैं कि आपको विश्वास हो जायेगा कि राम कथा ऐतिहासिक है, शर्मा जी के ही शब्दों में, "पुरातात्विक साक्ष्यों , वाल्मीकि रामायण में दी गयी घटनाओं के समय की ग्रह और नक्षत्रोॆ की स्तिथियों और आधुनिक युग के प्लेनेटोरियम सॉफ्टवेयर द्वारा कम्प्यूटरीकृत गणनाओं में पाई गयी एकरूपता ने राम को इतिहास पुरूष सिद्ध कर दिया है।" इसकी विश्लेषणात्मक जानकारी परिशिष्ट में उपलब्ध है.
कुल मिला कर ...सीता सोचती है ने हमें भावनात्मक स्तर पर  काल्पनिक कथानक से गुजरने जैसा सुख भी दिया और चिर- परिचित संदर्भों को एक नयी वैचारिक संवेदना से खगालने की ओर भी प्रेरित किया.




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