Wednesday, January 22, 2020

बसंत गीत 2

बसंत ने गुनगुनाया एक गीत प्रेम का


रंगों भरी गागरिया कांधे पर लादे
थिरक थिरक नाचे धरती गलियों औ चौबारे

चटका पलाश और रच गया एक गीत प्रेम का
बसंत ने.....


फूली सरसों के संग उमगे गोरी का मन
देहरी की ओट तके रतनारे नयन

महका पवन और लिख गया एक गीत प्रेम का
बसंत ने........

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