लोगों को बौरा जाता है, महुये का मादक रस
मुझको तो पागल करता है, फूली सरसों का आंचल।
सोंधी माटी की महक मन प्राणों पर छाती
खनकती हवा बस यादें तेरी ही लाती
गुनगुनाते खेतों की धुन पर शोग मचाती पायल
मुझको तो पागल करता..........
दूर तलक फैला बासंती वातायन
मेरे तन पर लिपटी तेरी चाहत का रंग
जलपाखी बन साधें करती हलचल
मुझको तो पागल करता है........
मुझको तो पागल करता है, फूली सरसों का आंचल।
सोंधी माटी की महक मन प्राणों पर छाती
खनकती हवा बस यादें तेरी ही लाती
गुनगुनाते खेतों की धुन पर शोग मचाती पायल
मुझको तो पागल करता..........
दूर तलक फैला बासंती वातायन
मेरे तन पर लिपटी तेरी चाहत का रंग
जलपाखी बन साधें करती हलचल
मुझको तो पागल करता है........
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