Thursday, September 27, 2007

छोटे भैया रहट वाले

आज के समय का gaint wheel हमारे समय में रहट हुआ करता था .काले रंग के लकड़ी के चौड़े फटटो के दो क्रॉस ,एक दूसरे से थोड़ी दूरी पर खडे रहते थे .उनके बीच में लकड़ी के चार पालने जैसे झूले होते थे ,जीन्हे हम लोगों के छोटे भैया हांथो से धक्का दे कर ऊपर नीचे गोल -गोल घुमाते थे .छोटे भैया का यह रहट लकड़ी के फटटो को नट बोल्ट से कस कर खड़ा कीया जाता था .घर से school के रासते में पड़ने वाली बाज़ार के पास रहट खड़ा कीया जाता था और phir महीने डेढ़ महीने बाद एक din स्कूल से लौटते समय हम पाते ki वह जगह खाली है .रहट जहाँ गड़ा रहता उन गढ़ो को mitti से पूर diya जाता था । उस ताजा पड़ी mitti को देख हंमे ऐसे ही खाली पन का एहसास होता था जैसे कीसी अपने के चले जाने पर होता है .उस दीन स्कूल से घर के रास्ते में ना लडाई झगडा होता था ना ही एक दूसरे को चीढ़ाना .
ये छोटे भैया कहॉ से आते थे और कहॉ को जाते थे यह तो हम लोगों को ठीक ठीक पता नही था । ना ही उनसे कोई गाँव दुआर ki रिश्ते दारी थी .पर यह सच है ki हमे उनके आने का इन्तजार रहता था और उसका कारण केवल रहट झूलना नही होता था .हमे यह भी पता था ki जितना खुश हम उन्हें देख कर होते थे वे भी उतना ही खुश होते थे .मजाल था ki स्कूल जाते समय हम रहट में बैठ जाएँ .उन्हें ज्यादा पैसे दे कर बैठाने के लिए कहने जैसी बातें तो हम सोच भी नहीं सकते थे । छोटे भैया का कहना था ki स्कूल जाते समय खेल या मजे का मूड नही होना चाहिऐ .
हम तब आज का जितना तो सोच नही पते थे पर anubhav jaroor कर लेते थे .हमे उनका यूं kandhe पर grihasthii lad कर अचानक ही कीसी नयी दिशा को चल देना तब भी bahoot fascinate karata था .शायद aankhe बंद कर कीसी anjan sukun भरी जगह पर pahuch जाने का जो chaska है उसके पीछे kahnii छोटे भैया का हाथ है ."samresh basu के भी कोई छोटे भैया jarur रहे hogen .सच है vyaktitv के bahut से pahalu की neev बचपन में hii पड़ jati है.

2 comments:

Naresh Soni said...

Hello
Naresh here...

it was such a nice piece...

Jab padhna shuru kiya to bas padhte hi chala gaya...
Likhne ka andaaz aur shabdon ka chayan waakai achcha thha..
shabd bilkul zinda thhe... padhte-

padhte khud ko bhi kisi rahat waale ke paas hi paaya....

Bas yahi shikaayat hai ki bahut jaldi khatm ho gaya.. interesting subject thha... aur likhte to mazaa aata... :)
keep on writing.... bye

Indian MMA Guy said...

mujhe rahat ka matlab iske pehle nahi pata tha.....
but now it is etched in my mind....
chhote bhaiya is indeed a fascinating character...